Saturday, 8 October 2016


एक मुट्ठी आसमान चाहिए ....


यहाँ सफ़र कैसा भी हो,
सभी को रास्ता एक, आसान चाहिए !

यहाँ मंजिल कैसी भी हो, 
लोगो को तो बस एक, पहचान चाहिए !

सोने वाले सपनों से थक कर सो गए ,
अब हर किसी को महल एक, आलिशान चाहिए !

कोशिश तो करते है सब अपने लिए  जीने की,
पर यहाँ जीने के लिए भी, एक मुट्ठी आसमान चाहिए !


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